




मातृ मंदिर
A Temple of Learning
Education is not just about books; it is about creating strong roots of संस्कार, nurturing श्रेष्ठ व्यक्तित्व, and understanding our glorious Bharatiya संस्कृति.”
Founded in reverence to Maa Saraswati, मातृ मंदिर is more than a school—it is a journey toward building a स्वर्णिम Bharat!

II मातृ मंदिर में बालक का समग्र विकास II

जीवन का घनिष्ठतम अनुभव
शिक्षा का आधार जीवन से जुड़ाव और उसका विकास होना चाहिए। हमारा शरीर पंचमहाभूत से बना है और पंचमहाभूतों के साथ हमारी ज्ञानेन्द्रियाँ इस प्रकार जुड़ी है: पृथ्वी - घ्राणेन्द्रिय (नाक), जल - स्वादेन्द्रिय (जीभ), अग्नि - दृश्येन्द्रिय (आंख), वायु - स्पर्शेन्द्रिय (त्वचा), आकाश - श्रवणेन्द्रिय (कान)

संस्कार व चरित्र निर्माण
बच्चों को हमारे महान पूर्वजों से परिचित कराना अनिवार्य है, जिन्होंने हमें गौरवशाली संस्कृति विरासत में दी। उनकी वीरता, ज्ञान और सद्गुणों की कहानी बच्चों में गर्व का संचार करती है व उनके जैसे बनने की प्रेरणा देती है।

क्षमताओं का विकास
शिशु की शारीरिक क्षमताओं का विकास प्रमुख रूप से कर्मेंद्रियां हैं। हाथों (पकड़ना, खींचना, चित्र बनाना), पैरों (चलना, दौड़ना, कूदना) और वाणी (बोलना, गाना, चीखना) की क्षमताओं का विकास गति, कुशलता, लयबद्धता सिखाने से होता है।

A Secure and Nurturing Space
Where every child feels valued, respected, and protected.
The safety and well-being of every child is our top priority. We have implemented strict safety measures across the campus to create a secure and nurturing environment.
हम हमारे हर बच्चे के लिए एक सुरक्षित और संजीवित वातावरण सुनिश्चित करते हैं। मातृ मंदिर में बच्चों को एक ऐसा स्थान मिलता है जहां वे स्वतंत्र रूप से सीख सकते हैं, विकसित हो सकते हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकते हैं।
Be a Part of the मातृ मंदिर परिवार!
Your child’s journey towards श्रेष्ठ व्यक्तित्व begins here. Experience a learning environment that blends धर्म, संस्कृति, and modern excellence—enroll today and be a part of the मातृ मंदिर परिवार.